अजेय समय

Tuesday, June 28, 2011

कुछ यादें तुम्हारी

देर हुई अब,
जाना है-
बिना कुछ कहे-सुने ,
पढ़ ना पाई तुम्हे ,
मै ही
शायद ;

जाना है -
बिना कुछ कहे-सुने ,
मत पूछना तुम भी 
अब
कुछ भी ,

कुछ ;
समान पड़ा है
तुम्हारा;
मेरे पास;
ना होगा तुम्हारी 
जानकारी में,

अब भी,
उसी दराज़
में पड़ी है -
कुछ यादें तुम्हारी
समय मिले तो
ले जाना मुझसे,

आज यहाँ ,
जब
बारिश हुई फिर से ,
बह निकलीं वों 
उस;
धूल चढ़ी टूटी,
पुरानी दराज़ से,
एक बार फिर;

ले जाओ
तुम इन्हें भी अपने-
साथ;
कहीं दूर
बहुत दूर.... 
  .......प्रीति पोरवाल 

20 comments:

  1. न जाने कहाँ, कितनी स्मृतियाँ पड़ी हुयी हैं। न जाने कहाँ, कब निकल आयेंगी।

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  2. सहज शब्दों में भावनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति. बधाई.

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  3. यह पढ़कर गुलजार का इजाजत वाला गीत याद आता है-मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है।

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  4. bahut hi badiya likha hai apne..
    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - सम्पूर्ण प्रेम...(Complete Love)

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  5. यह जीवन भी क्या है ? आज जो हमारे सामने है कल नहीं होगा, लेकिन उसकी याद हमेशा बनी रहती है ..बस जीवन अतीत की यादों को संजोता हुआ व्यतीत होता है ....चाहे यादें फिर कैसी भी हों ...! आपका आभार ..!

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  6. जीवन का दर्पण है किताब
    बहुत सुन्दर

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  7. some pople says that saying and doing r 2 different things but in your matter these lines r false.bcause ur saying and doing both r same and it really suits ur stye and status

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  8. very nice priti bahut jivit ehsas hain...

    कुछ लम्हे टूटे फूटे
    कुछ यादें धूमिल सी
    सहमी सी कुछ खुशियाँ
    कुछ रातें बदनाम पड़ी
    बेचैन से कुछ सपने
    वफ़ा भी बेआबरू थी
    लूट चूका था वो घर
    दीवारें शर्मिंदा खड़ी थी

    तभी दरवाजे से
    एक आवाज़ आती है
    बेशक्ल वो ग़मगीन
    आवाज़
    मुझसे पूछ रही थी

    "इस वीराने में क्या
    ग़म के लिए भी कोई आसरा है" ?

    तुमने ही इस ग़म को मेरा पता दिया होगा जरुर ...अक्षय-मन

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  9. पहली बार आना हुआ आपके ब्लॉग पर , अच्छा लगा |
    सुन्दर रचना

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  10. .............
    University of Allahabad good... Mass Communication & Journalism... very good ... kvita krne ka pryash ,,,, sundr

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  11. wah kya baat hai............cretivity jaag raha hai!!!

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  12. meri yadon men
    vo shahar hai jo,
    use kaise laotaoge tum

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  13. सुन्दर रचना , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , बधाई.


    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.

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