अरे नही नही .........ग़लत सोच बैठे आप बाबा रामदेव ....नही .....क्या कहा आशाराम बापू ......अरे नही भाई .......उन्हे कहाँ से बीच मे ले आए .....
अच्छा रुकिये मैं ही बताए देती हुं...........जुगाड़ बाबा नाम था इनका, ऐसे ही हाय हेलो से शुरूवात हुई .... अचानक पूछ बैठे मीडीया मे कैसे आने का सोचा कोई जान पहचान का है क्या ? .......मैने कहा..... नही,
बोले तो फिर कोई जुड़ाग उगाड़ मैने फिर कहा ..........नही दूर दूर तक नही ..........बोले तो फिर क्या कर रही हो यहाँ .............मैने कहा मतलब क्या कर रही हुं ..... पत्रकार बनना है सो इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पत्रकारिता कर रही हुं ।
शायद बाबा ने मेरे गुस्से को भाप लिया....... अचानक अपना सुर बदलते हुए बोले ..........
.देखो बेटा ,
"टैलेन्ट इज गुड थिंग बट यू नो फॉर ग्रेट सक्सेस जुगाड़ इस कम्पलसरी "
मैंने कोतुहलवश पूछा बाबा जुगाड़ मतलब.......... ?
मेरे इतना कहते ही बाबा बिदक गये ...छी:...... पत्रकारिता कर रही हो और इतना भी नहीं पता....... जुगाड़ मतलब -"सोर्स"......कही जॉब करनी है तो सिफारिस लगवाओ .....।
मैंने इतना सुनते ही बाबा पर एक सवाल और दाग दिया ......तो क्या बाबा जिसके पास जुगाड़ नहीं तो उसका फ्यूचर ब्राईट नही ....?
बाबा मेरी बात बीच में ही काटते हुए बोले हा हा हा हा..................अभी बच्ची हो तुम सच में बच्ची हो ....
बाबा के मुहं से बच्ची सुनते ही मेरा पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया.... ।
पर इतना गुस्सा आने के बावजूद भी कुछ कह नही पाई ...........क्या करूँ बचपन से तो यही सिखाया गया है कि बड़ो का सम्मान करना चहिये ।
आप सोच रहे होगे कि बच्ची कहने पर मुझे इतना गुस्सा क्यों आया ये तो लडकियों के लिए कॉम्प्लीमेंट है ..
ऐसा नही है क़ि बाबा ने ही पहली बार मुझे बच्ची कहा हो इसके पहले भी कई लोग कह चुके है ।
खैर बाबा ने फिर बोलना शुरू किया ....देखो बेटा आज के दौर में कामयाब होने के लिए धंधे के प्रति निष्ठा और लगन की नही जुगाड़ की आवश्यकता होती है ....इतिहास गवाह है जिसके पास जितनी अच्छी जुगाड़ है वो उतना ही कामयाब है .......टैलेन्ट तो टैलेन्ट होते हुए भी कोई काम का नही जबकि जुगाड़ सर्वत्र
समझो बेटा सबसे आगे है जुगाड़ ..............
सो बेटा ,
जुगाड़ नियरे राखियो ,टैलेन्ट दियो भुलाये ।
टैलेन्ट कछु न करि सकै,जुगाड़ सब करि जाये।।
बाबा जी क़ि बाते तो अब मेरी समझ में ही आना बंद हो गयी थी सो मैंने चुप्पी साधने में ही भलाई समझी ।
बाबा फिर बोलने लगे और इस बार उनके शब्दों में समझाने का भाव ज्यादा था ................।
देखो बेटा -जुगाड़ शब्द बेशक बहुतो को सुनने में अच्छा नही लगता लेकिन यह कितनी गहराई लिए हुए है .....गीता का पाठ करो तो जैसे जीवन के सत्य का ज्ञान होता है उसी तरह जुगाड़ क़ि तह में जाओ तो एक नयी दुनिया ही सामने आती है....
मैंने फिर पूछा नयी दुनिया मतलब ...?
इस बार बाबा फिर अपने आप पर इतराते हुए बोले ...............
बेटा थोडा अपडेट करो मै तो सौ सालो से पहाड़ पर तपस्या कर रहा हुं वहां तो मीडिया टीआरपी के पीछे भी नही भागती लेकिन फिर भी तुमसे ज्यादा अपडेट तो मै ही हुं ..।
अरे........बाबा अपडेट तो करती हुं अपने कम्प्यूटर में आये दिन एंटी वाइरस अपडेट करती हुं और दो तीन दिन में फेसबुक का स्टेटस भी और कभी कभी तो दिन में दो तीन बार ।
बाबा बोले ......अरे मूर्ख मै उस अपडेट क़ि बात नही कर रहा ......सच में बच्ची है तू...
इससे पहले क़ि मै बाबा से कोई और सवाल पूछने के लिए अपना मुंह खोलती बाबा अचानक अपनी रिस्ट वोच पर नजर डालते हुए बोले ........
ओह डियर आय ऍम गेटिंग लेट .....एक्चुली आज मेरा एक लेक्चर है जुगाड़ पर तो मै तुमसे बाद में मिलता हुं ...
ओके ब बाय .....टेक केयर ....सी यू सून..........।