अजेय समय

Tuesday, March 19, 2013

16 में सहमती ... ना बाबा ना

हमारे एक मित्र है .. बाकी हमारे मित्रो की तरह ही ये भी बड़े समझदार और ईमानदार है. दुर्लभ तौर पर समझदार और पेशे से पत्रकार मित्र एक दिन सवेरे-सवेरे हमसे पूछने लगे आपने व्यंग लिखना बंद क्यों कर दिया ..।

अब हमारे मन में कोई चोर तो था नही तो हमने उन्हें सीधे सीधे बता दिया देखिये हमारे देश में व्यंग करने का सर्वाधिकार सरकार और विभिन्न राजनीतिक दलों के पास ही सुरक्षित है. वो जब चाहे कोई क़ानून बना सकती है और अपनी सुविधा के हिसाब से उसे बदल भी सकती है ..अब भाई ये व्यंग यंग में भला हमारी क्या औकाद ..।

बोले देखिये आप बहुत डिप्लोमेटिक हो रही है... हमारे यहाँ बहुत बड़े बड़े व्यंगकार है जो आये दिन फेसबुक और ब्लॉग पर कोई न कोई व्यंग चिपकाते रहते है..।
हमने फिर ईमानदारी से बोलना शुरू किया . देखिये बात तो आप सही कर रहे है लेकिन वो नामी गिरामी व्यंगकार है उनका लिखा लोग पढ़ते है पर हमारे जैसे अधकचरे हिन्दीभाषी का लिखा कौन पढ़ेगा.. ।

शायद मेरी बात उन्हें जच गयी इस बार थोडा बात को बदलते हुए पूछने लगे .. 

सरकार ने सहमती से सेक्स की उम्र 16 साल कर दी इस पर आपका क्या कहना है..?
(अमां यार कहाँ फंस गये सवेरे-सवेरे अब भैया सवाल पुछा है तो उत्तर तो देना ही पड़ेगा नही तो डिग्निटी प्रोब्लम हो जाएगी..।)

मैंने भी गंभीरता का मुखौटा पहनकर हल्केपन से उत्तर देना शुरू किया..

देखिये भाई जितने भी लोग इस कानून का विरोध कर रहे है हम तो कहेंगे वो मानव जाति के बहुत बड़े शुभचिन्तक है और निश्चित तौर पर ईश्वर ने उन्हें धरती पर मानव देह में जन्म सम्पूर्ण मानव जाति के उत्थान के उद्देश्य से ही दिया होगा.

अच्छा हम आपको एक बात बताना भूल गये ..हमारे ये मित्र थोड़े जिज्ञासु टाइप के भी है...।
तो उसी जिज्ञासा के वशीभूत होकर उन्होंने हमसे पूछ लिया... वो कैसे?

हमने कहा और नही तो क्या .. हम भले ही अपनी बेटियों की शादी 13, 14 साल या उससे भी कम में कर सकते है .. लेकिन वो अपनी मर्जी से ऐसा करे ये सरासर हमारी संस्कृति पर धब्बा है ..भले ही 18 से कम उम्र में सेक्स सहमति वाला हो, हम उसे बलात्कार के तौर पर परिभाषित कर देंगे..प्रेमी युगल जो ऐसा करते है उनको बाल सुधारगृह भेज देंगे उनमे से भी ज्यादातर लडकियों की शादी इज्जत का हवाला देकर जबरदस्ती करवा देंगे.. भले ही हफ्ते भर के अन्दर उनमे से ज्यादातर को जलाकर मार दिया जाएँ... पर इससे हमारी संस्कृति तो बच जाएगी अब बताइए 16 साल भी कोई उम्र होती है ये सब करने की.. ?

बड़ी देर से मुझे गंभीरता से सुन रहे मित्र महोदय जी इस बार थोड़े गुस्से में बोले बात यदि सहमती की हो तो उम्र-सीमा की क्या जरूरत .. बलात्कार रोकने के लिए स्त्री पुरुष के संबंधो में सहजता बहुत जरुरी है ..। सरकार अगर 16 वर्ष की उम्र में सहमति के साथ यौन संबंधों को मंजूरी दे रही है तो इसमें गलत क्या है?

अमां यार कैसी बात करते है ...  गलत कैसे नही है ... आप जैसे लोग ही है जो हमारी संस्कृति को गन्दा कर रहे है... हम 16 साल में लडकियों से घर का सारा काम तो करा सकते है..। बात-बात पर ताने दे सकते है की इतनी बड़ी होकर भी दुपट्टा क्यों नही ओढती .. 16 में सहमती और वो भी इसके लिए ना बाबा ना  
आगे अपनी बात को कंटीन्यू करते हुए मैंने कहा देखिये अगर सहमती से कुछ भी करने की आजादी हमने लडकियों को दे दी तो भले ही बलात्कार रुक जाए पर इससे हमारी संस्कृति का बलात्कार हो जायेगा ।

इस बार हमारे मित्र निरुतर हो गये.... हम भी पासा सही पड़ता देख वहां से खिसक लिए...

(और वहां से लौटते हुए मुस्कुराते हुए मै सोचने लगी... बात कितनी ही ऊट पटांग क्यों न हो यदि फेक लॉजिक का सहारा और आत्मविश्वास का मुखौटा पहनकर की जाए तो किसी से भी मनवाई जा सकती है.. एटलिस्ट 80% जनता तो मान ही लेगी .. और बाकियों का क्या है वो भी चले आयेंगे भेडचाल में.. आप को क्या लगता है..?)

Friday, March 15, 2013

आखिर गलती किसकी

दीदी हमें ऐसे ही पढना है... आप हमे रोज पढ़ाया करो ना.. हमारे गुरु जी रोज कक्षा में नही आते... और अगर आते भी है तो कभी इतना समझा कर नही पढाते... दीदी हम पढना चाहते है...

६ वीं क्लास के बच्चे अचानक से मुझसे जिद्द करके कहने लगे.....

रीना- दीदी क्या हम कभी ठीक से नही पढ़ पायेंगे..?
( एक लडकी ने मुझसे पूछा )

मै- क्यों नही पढ़ पाओगे... बेटा इंसान सब कुछ कर सकता है...  बहुत ताकत होती है इसमें... बस जरूरत है तो लगन और मेहनत की...

सोनू- दीदी हम बहुत मेहनत करेंगे...आप जितना भी कहोगे उतनी मेहनत पर क्या मेहनत से हमको सब कुछ आ जायेगा...

मै- क्यों नही आ जायेगा...  
( मैंने आत्मविश्वास से भर कर कहा )

रीना- पर हम तो मेहनत करना चाहते है...पर हमे कई बार किताब पढने पर समझ में नही आता...उस समय हम क्या करें...

मै- देखो जो कुछ भी तुम पढ़ते हो अगर समझ में ना आये अपने गुरु जी से पुछो  वो जरुर तुम्हे बतायेंगे...

पूजा- दीदी हमे उनसे बहुत डर लगता है अगर उन्होंने हमे मार के भगा दिया...

मै- कैसी बात कर रही हो बेटा वो तुम्हे क्यों मारेंगे..

सोहन- दीदी हमने कई बार कोशिश की वो कभी ठीक से नही बताते.. और हमे उनसे बात करने में भी बहुत डर लगता है...

मै-  डर .. कैसा डर..? बेटा डर हमेशा उसे लगना चाहिये जो गलत करता है...और इसमें क्या गलत है...

( मेरी बच्चो से इसी बातचीत के दौरान एक टीचर आ गयी...और एक बच्चे जो की उम्र में बाकी बच्चो से ३-४ साल बड़ा है की कॉपी  उठा कर सब को दिखाते हुए उसका मजाक उडाते हुए बोली...)

टीचर-  ये कैसे लिखा है... इतने बड़ा हो गया अभी लिखना भी नही आता...  दो- चार चाटे लगाते हुए बोली..शर्म नही आती क्या इतने बड़े होकर अपने से छोटे उम्र के बच्चो के साथ बैठ कर पढने में...

सारे बच्चे शांत हो गये... और उस बच्चे को चोर निगाहों से देखते हुए अपने अपने काम में लग गये...
 घन्टा लगा और छुट्टी हो गयी....सब जाने लगे और मै अपनी धीमी चाल से वापिस लौटते हुए सोच में पड़ गयी आखिर गलती किसकी  ..
                                                                              


                                                                                                                  

Thursday, March 14, 2013

सोचा न था


होगी तुमसे ऐसे
मुलाकात
सोचा न था
न गिला शिकवा न कोई शिकायत
पर होना होगा दूर ऐसे
सोचा न था
अनछुआ सा साथ
वो तेरी अनकही सी बात
वो अपनापन और ढेर सारा प्यार
सब कुछ खत्म होगा ऐसे
सोचा न था