कॉलेज से आकर घर बैठी ही थी कि टी०वी० खोल लिया सोचा थोडा माइंड फ्रेश कर लुं ...... पर ये क्या हर चैनल पर अन्ना का जिन्न है .....आज दिन भर कॉलेज में भी अन्ना ही चर्चा में थे.......। सो अब और सुनने का मन नही हुआ.......। थोड़ी देर चैनल इधर उधर बदले पर कोई फायदा नही हर जगह अन्ना ही अन्ना थे..। वैसे मीडिया को बैठे बिठाये एक नया मुद्दा मिल गया मैंने भी थककर टीवी बंद कर दी और फेसबुक पर आ बैठी ।
आप भी सोच रहे होंगे ये कौन सी बात हुई आज जबकि पूरा देश अन्ना के साथ है फिल्म अभिनेता आमिर खान ,जूही चावला सब अन्ना के साथ खड़े है तो ऐसे में मैं ये सब क्या कह रही हूँ ....?
वैसे मैं भी तो यही बात कह रही हूँ .......अरे जब इतने बड़े-बड़े लोग अन्ना के साथ है और उनके लिए लिख रहे है तो मेरे एक अकेले के न लिखने से कौन सा पहाड़ टूट जायेगा ।... हो सकता है आप में से कई लोग मेरी इस बात से इत्तेफाक न रखे।
खैर अन्ना के जिन्न से बचने के लिए मैं फेसबुक पर आई ही थी ...देखा ५०-६० की हरी बत्ती जल रही थी एक के बाद एक हाय-हेलो, हॉउस यु से पिंग आने लगे ।
सोचा था यहाँ तो अन्ना के भूत से बच जाउंगी पर ये क्या थोड़ी बहुत फौरमलिटीस के बाद सब अन्ना पर ही आ गये जिसे देखो वो अन्ना का महिमामंडन करने में लगा था ...। तभी चैट विंडो में जैन साहब कि बत्ती हरी हो गयी ....ये जैन साहब है बड़े कमाल के आदमी .. वैसे तो ज्यादा नही बोलते पर अगर एक बार बोलना शुरू हो गये तो इनका मुहं बंद करना समझिये कि बस .....।
अब एक राज़ कि बात सुनिए ...हर फेसबुकिया इंसान को एक ग़लतफ़हमी होती है .........कि उसकी सामने वाले कि नज़र में बड़ी इज्जत है ...सो एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ फेसबुकिया होने के नाते मैं भी इस गलतफहमी से अछूती नही हूँ...आप लोग सोच रहे होंगे फेसबुकिया तो समझ आया पर ये ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ क्यों...अरे भाई इमानदारी से दिन के १०-१२ घंटे फेसबुक पर देने के बाद अपनी नजरो में मैं तो ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ ही हुई...।
वैसे मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि जो गलतफहमी मानसिक संतोष दे उसके रहने में कोई बुराई भी नही है..।
मैं अपनी गलतफहमी पर खुश हो ही रही थी कि ...तभी जैन साहब के अगले ही प्रश्न ने मेरी गलतफहमी को और बढ़ा दिया .....पूछने लगे प्रीति जी आप तो पत्रकारिता कर रही है ..इस नाते आप क्या कहेंगी ..आज के यूथ के लिए आई पी एल ज्यादा बड़ा मुद्दा है या भ्रष्टाचार ..?
अपनी गलतफहमी पर इतराते हुए मैंने हल्केपन से बोलना शुरू किया....देखिये भाई भ्रष्टाचार का क्या है ये युगों से होते रहे है और ऐसे ही होते रहेंगे...बस यूँ समझ लीजिये जीवन का नमक है ये भ्रष्टाचार ...अब जरा सोचिये अगर आपकी दाल-सब्जी से नमक गायब हो जाए तो वो कैसी लगेगी ....बिल्कुल फीकी ....तो बस....।
जैन साहब को मेरी बाते पसंद नही आई ..और मेरा प्रतिवाद करते हुए कहने लगे ...पूरा मीडिया आज अन्ना के साथ है ...आपके मुहं से ऐसी बाते शोभा नही देती...।
मैंने भी अपनी बात को आगे बढाते हुए कहा ...मीडिया वालो का क्या है उनकी तो रोजी-रोटी ही यही है....मेरी बात पूरी हो इससे पहले ही जैन साहब गुस्से में बोल उठे आप अपने पत्रकारिता धर्म से भटक रही है... अपनी सफाई देने के लिए में उनसे कुछ और कहती इससे पहले ही वो ऑफलाइन हो चुके थे....।
हो सकता है आप में से कई लोग मेरे बारे में जैन साहब जैसे विचार रखे ....वैसे सतही तौर पर देखने पर कोई भी उनकी तरह ही सोचेगा ....। पर जरा गहराई से मेरी बातो पर गौर करिये ...सोचिये अगर अन्ना का आन्दोलन जम जाए और भ्रष्टाचार सचमुच बंद हो जाए तो बेचारे इन मीडिया वालो का क्या होगा...समाचार पत्रों के पन्ने कैसे भरेंगे...न्यूज़ चेनल्स कि टाइम लाइन कैसे भरेगी...अब भई यूँ बैठे बिठाये किसी के पेट पर लात मारना कोई भली बात तो है नही...।
वैसे ये मीडिया वाले होते बड़े जुगाडु लोग है...अगर भ्रष्टाचार न भी हो और इनके पास कोई खबर न भी हो तब भी भूत-प्रेत ,तंत्र-मन्त्र ,राशिफल ...जैसी खबरों से अपनी टाइम लाइन भर ही लेंगे...पर जरा सोचिये इससे क्या होगा क्या होगा भोली-भाली जनता का ....बैठे ठाले ऐसी खबरे देख कर और अंधविश्वासी हो जायेंगे ...तो बस मैं तो अपना पत्रकारिता का धर्म निभा रही हूँ....।
niceeeeeeee diiiiiii
ReplyDeletem ur fan diii
अन्ना के जिन्न के सहारे ब्लाग में वापस देखकर अच्छा लग रहा है। ऐसे ही कोई न कोई जिन्न तुमसे नियमित मुब्तिला होता रहे ऐसी शुभकामनाएं हैं...!
ReplyDeleteब्लॉग में यह चर्चा देखकर बहुत अच्छा लग रहा है।
ReplyDeleteha ha , a level headed youth!
ReplyDeleteKeep it going this way only!
अन्ना के अनशन का रंग दिखा. लेकिन अब क्या ? क्या कमिटी बन जाने से करप्शन खत्म हो जाएगा। दरअसल अन्ना ईमानदार, कर्मठ और निर्दोष हैं लेकिन इसका आयोजन करने वालों के पास आगे की कोई रणनीति नहीं है। न्यूज़ चैनल की भाषा में कहें तो इनके पास रनडाउन नहीं है। जो मिल गया वही चला देंगे। बिना करप्शन खत्म किए शांत होना देश के उन नौजवानों और बच्चों के साथ धोखा होगा जिनको यह उम्मीद जगी थी कि शायद कुछ बदलाव होने वाला है। सोचिए जरा !!!
ReplyDeleteआपकी और जैन साहब की वार्ता पढ़ी। बस इतना कहूंगा कि शब्दों के ताने-बाने में आप फेसबुकिया महौल बुनने पूरी तरह से कामयाब रहीं ...........सादर
ReplyDeleteBADI PRATIBHASHALI HO ISME KOI SHAK NAHI..SHABDO KA ACCHA TALMEL HAIN TUMHARI RACHNAOME,BHASHA ME BHI NIYANTRAN HAIN.EK ALAG SOCH HAIN.PREETI MERI YE BHAVISHYAWANI HAIN KI TUM KAL KI BAHUT BADI LEKHIKA AUR SAMAJ SEWIKA BANOGI.ABHI SE SHUBKAMNAYE.
ReplyDeletebahut badhiya
ReplyDeleteaise hi likhte rehna accha likhti ho aur soch b acchi hai....
nice i was watching tv and arnab of times now was saying ..this girl is future of country...girl looks like you and may be belong your facebookia generation... your blog should be read by arnab and other so called big journalist...a fresh write up on anna issue
ReplyDeletetoo gd,well said n also well written.Keep it up n also come up with more ideas n inform me.
ReplyDeleteBahut Khoob Likha Hai Aapne, Preeti Ji !! Badhaai !!
ReplyDeleteदोस्त अन्ना का जिन्न तुम्हे ही नहीं..10जनपथ और 7RCR को भी परेशान करता है..जरुरी भी है कि यह हाकिम चैन से सो ना पाये...आखिर ये तो कुम्भकरण से भी भड़कर है क्योकि सियासी लोग पांच साल में एक बार ही जागते है..।
ReplyDeleteLagta hai Apke uper Bhi Jinna Ja Jinn Ayaa hai....Preeti
ReplyDeleteVery appreciable efforts, I like it....!
ReplyDeleteaap ne bahut achcha likha hai.
ReplyDeleteआपने अपने अनुभव साझा किये अच्छा लगा लकिन मैं अन्ना के इस आन्दोलन को कोई क्रांति नहीं मानता और न जन आन्दोलन दरअसल जन गण मन तब जिंदाबाद होगा जब सही मायने में यहाँ लोकतंत्र की बहाली होगी. मुझे अफ़सोस है जंतर मंतर, ताहिर चौक न बन सका. देश में क्रांति हो सकती है आगे भी होगी लेकिन लोकपाल बिल के लिए सरकार को राज़ी करवाना ही क्रांति नहीं कही जा सकती. लोकतंत्र म...ें मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है लेकिन इस तथाकथित सिविल सोसाइटी को लेकर कारपोरेट मीडिया का रवैय्या पक्षपात पूर्ण है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कारपोरेट मीडिया लोकपाल बिल के लिए तो जंतर मंतर पहुँचती है लेकिन बिनायक सेन के बारे में मौन रहती है... समाज तब तक सभ्य नहीं बन सकता जब तक चीजों को सही मायने में न देखा जाये. गांधी ने भारत में आंदोलन के लिए विदेशी धन नहीं लिया था। लेकिन एनजीओ आंदोलन, सिविल सोसायटी आंदोलन , तथाकथित गांधीवादी, मानवाधिकारवादी,पर्यावरणपंथी संगठन विदेशी फंडिंग से चल रहे हैं। कारपोरेट भ्रष्टाचार पर अन्ना हजारे ने कोई मांग क्यों नहीं उठायी ? अन्ना जानते हैं कि सरकारी बैंकों का 80 हजार करोड़ रूपया बिना वसूली के डूबा पड़ा है और उसमें बड़ी रकम कारपोरेट घरानों के पास फंसी पड़ी है। क्या कोई समाधान है जन लोकपाल बिल में ?कारपोरेट करप्शन के 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में हाल के बरसों में टाटा-अम्बानी आदि का नाम आया है। क्या राय है अन्ना हजारे की ? किसने हल्ला मचाया करपोरेट लूट के खिलाफ ? ऐसे कई प्रश्न है मन में जो इस आन्दोलन को जन आन्दोलन के तौर पर स्वीकार नहीं करते .
ReplyDeleteation is getting hysterical with Anna Hazaare. I have a few queries. 1. If he is a real Mahatma why did he need to be part of the draft Lokpal committee? Gandhi Jee never wanted any post or position. 2. Who is financiang this such well orc...hestrated media exercise? 3. Why are 2G spectrum stung corporates through their financed NGOs and PR working overtime to get the media hyper active on the issue? 4. Can Anna who is a known hater of UP and Bihar people and symbol of Maratha pride claim to be a nationalist himself? 5. If yes, why was he silent when the goons of Shiv Sena were brutally assaulting UP-Bihar migrants? 6. Does Anna have an alternate and better political model or is it another VP Singh kind of corruption gimmick that gave this country a worst government than that of Rajiv Gandhi? 7. While decentralisation of power sounds good in theory, does it actually work well in a democracy where the literacy level is abysmally low?????
ReplyDeleteits a good kind of infotainment , ur creation is so nice, keep it up, its a good sign that u have a good sense of understanding, the way u written this text is unpredictable, it shows ur matureness in the field of journalism and mass communication
ReplyDeleteyaar ye anna ki kahani to badi lambi h .... main to padhte padhte hi tahak gaya hoon .... jara glucose to dena........
ReplyDeletei always heard a saying "Truth is bitter" now it really works by ur comment..the way u tried to show the real life of media is really mind-bogling...gud thought!
ReplyDeleteइतने लोग इतना कह चुके है अब मेरा कहना कुछ मायने नही रखता.....बस इतना ही कहूँगा एक बेहतरीन व्यंग ....सामाजिक विसंगतियो के प्रति गहरा सारोकार रखने वाला व्यक्ति ही सच्चा व्यंगकार हो सकता है।.....सादर
ReplyDeleteबिलकुल सही फ़रमाया आपने..शत प्रतिशत सहमत आपसे...
ReplyDeletekya baat hai main toh aache $ay hil gaya .. kya likhti ho tum ..
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