दीदी हमें ऐसे ही पढना है... आप हमे रोज पढ़ाया करो ना.. हमारे गुरु जी रोज कक्षा में नही आते... और अगर आते भी है तो कभी इतना समझा कर नही पढाते... दीदी हम पढना चाहते है...
६ वीं क्लास के बच्चे अचानक से मुझसे जिद्द करके कहने लगे.....
रीना- दीदी क्या हम कभी ठीक से नही पढ़ पायेंगे..?
( एक लडकी ने मुझसे पूछा )
मै- क्यों नही पढ़ पाओगे... बेटा इंसान सब कुछ कर सकता है... बहुत ताकत होती है इसमें... बस जरूरत है तो लगन और मेहनत की...
सोनू- दीदी हम बहुत मेहनत करेंगे...आप जितना भी कहोगे उतनी मेहनत पर क्या मेहनत से हमको सब कुछ आ जायेगा...
मै- क्यों नही आ जायेगा...
( मैंने आत्मविश्वास से भर कर कहा )
रीना- पर हम तो मेहनत करना चाहते है...पर हमे कई बार किताब पढने पर समझ में नही आता...उस समय हम क्या करें...
मै- देखो जो कुछ भी तुम पढ़ते हो अगर समझ में ना आये अपने गुरु जी से पुछो वो जरुर तुम्हे बतायेंगे...
पूजा- दीदी हमे उनसे बहुत डर लगता है अगर उन्होंने हमे मार के भगा दिया...
मै- कैसी बात कर रही हो बेटा वो तुम्हे क्यों मारेंगे..
सोहन- दीदी हमने कई बार कोशिश की वो कभी ठीक से नही बताते.. और हमे उनसे बात करने में भी बहुत डर लगता है...
मै- डर .. कैसा डर..? बेटा डर हमेशा उसे लगना चाहिये जो गलत करता है...और इसमें क्या गलत है...
( मेरी बच्चो से इसी बातचीत के दौरान एक टीचर आ गयी...और एक बच्चे जो की उम्र में बाकी बच्चो से ३-४ साल बड़ा है की कॉपी उठा कर सब को दिखाते हुए उसका मजाक उडाते हुए बोली...)
टीचर- ये कैसे लिखा है... इतने बड़ा हो गया अभी लिखना भी नही आता... दो- चार चाटे लगाते हुए बोली..शर्म नही आती क्या इतने बड़े होकर अपने से छोटे उम्र के बच्चो के साथ बैठ कर पढने में...
सारे बच्चे शांत हो गये... और उस बच्चे को चोर निगाहों से देखते हुए अपने अपने काम में लग गये...
घन्टा लगा और छुट्टी हो गयी....सब जाने लगे और मै अपनी धीमी चाल से वापिस लौटते हुए सोच में पड़ गयी आखिर गलती किसकी ..
यह व्यवहार दुखद है, हम विकास बाधित तो न करें।
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