अजेय समय

Saturday, June 11, 2011

क्या सचमुच ...तुम्हे कुछ भी याद नही ..?

बहुत दुःख होता है
मुझे,
जब तुम कहते हो
तुम्हे,
याद नही,
वो मेरा साथ,
वो सुनहरी रात,

और;
वो अनकही सी बात,
जो थी
बिलकुल मौन,
बिलकुल निशब्द,
रात के
उस सन्नाटे की तरह
जिसमे हम सुन सकते है
अपने ह्रदय की धडकन
वो भी
बिलकुल साफ़


तुम्हे कुछ भी
याद नही,
क्या सचमुच,
तुम्हे
कुछ भी याद नही ..?


दुःख होता है मुझे,
फिर क्या याद रखते हो तुम,
दिन के केवल
२४ घंटे,
साल के केवल
४ ही मौसम,
और चान्द्र्मा की
केवल १६ कलाएं ..?


दिन के २५ वें घंटे का क्या ..?
जो सबसे लम्बा होता है,
साल के ५ वें मौसम का क्या..?
जो कभी आता ही नही,
और चंद्रमा की १७ वीं
सबसे खूबसूरत कला 
उसका क्या ...?
जो केवल
तुम्हारे लिए है यहाँ,
उसका क्या  ....?
                    ( मेरी थोड़ी सी बकवास ...उम्मीद है कि आप लोग झेल ले जायेंगे.. .. सादर )
                                                                                                   ....प्रीति पोरवाल..

17 comments:

  1. सुन्दर शाब्दिक उभार भावनाओं का।

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  2. बहुत ही अच्छा लिखा है
    जिस तरह से तुमने मौसम, घंटे और चंद्रमा के बारे में Expalin किया वह काबिले तारीफ है

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  3. प्रभावी शाब्दिक अलंकरण लिए सुंदर प्रश्न ....... बेहतरीन रचना

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  4. You are a good writer but if u can write something on "dreams" "khwaab" them it will be good to read .......go on....to the endless world....

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  5. सुंदर अभिव्यक्ति .....आपको एक अच्छी रचना के लिए शुभकामनाये ...

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  6. बहुत खूब प्रीती जी
    ------------------------
    कल 14/06/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है.
    आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत है .

    धन्यवाद!
    नयी-पुरानी हलचल
    ------------------------
    कृपया कमेंट्स सेटिंग्स में वर्ड वरिफिकेशन को नो (NO) कर दें .इससे अन्य पाठकों को अपना अभिमत देने में असुविधा होती है.

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  7. ....प्रवीण जी, योगेश, डॉ मोनिका शर्मा जी, Xp5130ANURAG, सुनील यशवंत माथुर जी ..आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद...!

    यशवंत जी आपके सुझाव के लिए विशेष रूप से धन्यवाद....सादर

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  8. वह २५ वन घंटा सबको समझ नहीं आता ... और न ही पांचवा मौसम .. प्रभावशाली रचना

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  9. बहुत ही सुंदर शब्दों में अभिव्यक्ति दी है....

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  10. भावों में गहराई भी है और माधुर्य भी.बढ़िया

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  11. वाह बहुत खूब.काव्य में भी और गध्य में भी. दोनों में प्राभावशाली है आपकी अभिव्यक्ति.अभी आपका एक व्यंग लेख भी पढ़ा शर्मा जी वाला.
    रोचक शैली है.
    अच्छा लगा आपका ब्लॉग.

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  12. आपका कोई जबाव नही...जी...

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  13. गहरे भाव सुंदर अभिव्यक्ति. शुभकामनायें.

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  14. दिन के २५ वें घंटे का क्या ..?
    जो सबसे लम्बा होता है
    साल के ५ वें मौसम का क्या..?
    जो कभी आता ही नही
    और चंद्रमा की १७ वीं
    सबसे खूबसूरत कला
    उसका क्या ...?
    शब्दों को पिरो कर गूंथी गयी खूबसूरत कविता....

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  15. MAST COMMENT
    दिन के २५ वें घंटे का क्या ..?
    जो सबसे लम्बा होता है
    साल के ५ वें मौसम का क्या..?
    जो कभी आता ही नही
    और चंद्रमा की १७ वीं
    सबसे खूबसूरत कला
    उसका क्या ...?
    शब्दों को पिरो कर गूंथी गयी खूबसूरत कविता.

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  16. bhawnao ko kaphi achchhi trh se abhiwykt kiya hai aap ne.

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  17. बहुत सुन्दर प्रेम भाव से परिपूर्ण रचना...
    आभार...

    मेरे ब्लॉग पे आपका स्वागत है -
    mymaahi.blogspot.com

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